अचानक इक तस्वीर दिखी
कुछ तो था
कोशिश किया ढूंढने का फिरसे
मगर
एक दिन मिली , और
खो गयी कही शायद भीड़ में मेरे जाने से
वो मेहबूबा नही हो सकती
क्योंकि
साथ रहती है वो तन्हाई में ही अक्सर
शायद मैं ही हु वो
जो दोस्तों के बीच गुम जाता हूं कही अंदर
और
फिर मिलता हु खुदसे तन्हाई में
शायद मैं मैं तो नहीं हूँ! ❤